लेखनी कहानी -06-Sep-2022... रिश्तों की बदलतीं तस्वीर..(9)
रमादेवी को नहीं पता बस कहाँ की थी और कहाँ जा रहीं थीं... वो बस में चढ़ने के बाद आखिरी स्टाप पर बोलने का कहकर बैठ गई....।
वही दूसरी ओर इस बात से सभी अंजान थे...। सलोनी और विनी अभी भी सुजाता के साथ शापिंग में व्यस्त थे...।
शाम ढलने पर सुनील घर की ओर निकल चुका था...। घर पहुंचते ही अपने रोजमर्रा के कामों से निवर्त होकर सुजाता को फोन करता है...।
हैलो... सुजाता.. अभी ओर कितना समय लगेगा तुम लोगो को...!
हैलो....। हम बस अभी निकल ही रहे हैं... आते आते एक डेढ़ घंटा तो लग जाएगा..।
ठीक हैं... संभाल कर आना..।
हाँ... वो तो ठीक हैं... पर सुनिए... हम लोग खाना खाकर ही आ रहें हैं.. और आकर के मुझसे खाना बनेगा भी नहीं... तो आप अपने लिए कुछ बाहर से लेकर खा लिजिएगा ना...।
हां हां ठीक हैं.... कोई बात नहीं... मैं खा लूंगा कुछ..।
तभी पीछे से सलोनी ने फोन पर कहा :- मम्मी दादी के लिए पापा को बोल दो...।
सुजाता कुछ बोलती इससे पहले ही सुनील ने कहा :- देखता हूँ.. पूछता हूँ उनसे भी.. तुम बस ध्यान से आना सब..।
ऐसा कहकर सुनील ने फोन रख दिया और गुस्से में बड़बड़ाता हुआ रमादेवी के कमरे की तरफ़ जाने लगा...। अब ये तो बाहर का भी नहीं खाएगी... इसके लिए कौन बनाएगा... अजीब मुसीबत हैं... एक दिन का भी चैन नहीं हैं... काश दोपहर का खाना ही बचा कर रखा हो तो बोल दूंगा वही खा ले...।
सुनील ऐसा सोचते हुए कमरे के भीतर गया.. लेकिन कमरे में तो कोई था ही नहीं...। उसे लगा शायद वाशरूम में होगी..। इसलिए उसने आवाज लगाई..। लेकिन वहां तो कोई था ही नहीं तो आवाज का जवाब कहां से मिलता..। तभी सुनील की नजर चारपाई पर रखी हुई खाने की थाली पर गर्ई जो ढकी हुई थीं...। सुनील ने खोलकर देखा तो दोपहर का खाना ज्यों का त्यों रखा हुआ था...। एक पल को तो सुनील खाना देखकर खुश हो गया की चलो अब इसके लिए कुछ बनाना या लाना तो नहीं पड़ेगा..। उसने फिर से वाशरूम में आवाज लगाई...। लेकिन अभी भी कोई जवाब नहीं आया तो उसने दरवाजा खोलकर देखा... भीतर किसी को ना पाकर... वो कमरे से बाहर आया और पूरे घर में आवाज लगाकर रमादेवी को खोजने लगा...।
अब सुनील बहुत गुस्से में आ गया था क्योंकि उसने रमादेवी को कमरे से बाहर ना निकलने की हिदायत दी हुई थीं...।उसके दिमाग में ऐसा चल रहा था की घर में किसी के ना होने का फायदा उठाकर रमादेवी किसी दूसरे कमरे में गई होगी....। सोचते और गुस्सा करते करते उसने पूरा घर दो तीन बार छान मारा लेकिन रमादेवी की कोई खबर नही मिली..। अब उसका गुस्सा थोड़ी घबराहट में बदल गया वो दौड़कर वापस रमादेवी के कमरे में आया और वहाँ रखी अलमारी खोल कर देखी तो अलमारी में रमादेवी के कपड़े नदारद थे...। फिर उसने यहाँ वहाँ कुछ ढुंढना शुरू कर दिया... तभी उसकी नजर तकिये के नीचे रखें कागज़ पर गर्ई...। जो थोड़ा सा बाहर निकला हुआ था...। उसने तुरंत तकिया हटाकर वो कागज़ उठाया और उसे पढ़ने लगा...। वो पढ़ते ही सुनील धड़ाम से चारपाई पर बैठ गया... वो समझ ही नहीं पा रहा था की ये सब अचानक.... कैसे.. हो गया..।
सुनील ने बिना वक्त गंवाएं तुरंत सुजाता को फोन लगाया...।
सुनील :- हैलो सुजाता... अभी जो मैं कह रहा हूँ ध्यान से सुनना..। सबसे पहले तो सलोनी से थोड़ा दूर आकर बात करो...।
सुजाता :- अरे... क्या हुआ... आप इतना घबरा क्यूँ रहे हे.. ;
सुनील :- जैसा बोल रहा हूँ वो करो... सलोनी से दूर आओ..।
हां हां... आ गई ...।
अभी सुनों :- मम्मी घर छोड़कर चली गई हैं...। उनके कमरे से एक चिठ्ठी मिलीं हैं...।
क्या... ये क्या कह रहे हो ...!!
हां... ये सच है.... लेकिन अभी इस मामले में तुम सलोनी को कुछ नहीं बताओगी...। तुम पहले घर आओ फिर कोई रास्ता ढुंढते हैं...।
लेकिन ये लड़की तो घर आते ही उनके कमरे में भागेगी...।
आज की रात मत जाने देना... वो तुम संभाल लेना.. तब तक मैं कुछ सोचता हूँ...।
ठीक हैं... लेकिन क्या तुम पुलिस को बताने वाले हो...!
नहीं... बिल्कुल नहीं.. कमरे से मिला खत पढ़ने के बाद तो बिल्कुल भी नहीं...। तुम आओ ओर फिर खुद पढ़ लो...।
ऐसा क्या लिखा हैं... ?
तुम आ जाओ फिर बात करते है...। अभी फिलहाल नार्मल ही रहना...। रखता हूँ अभी...।
सुनील ने फोन रख दिया और हाथ में लिए हुवे खत को बार बार पढ़ने लगा...।
लेकिन उसके चेहरे पर जरा सी भी चिंता या बैचेनी नहीं झलक रहीं थीं..।
आखिर क्या लिखा था उस खत में...।
shweta soni
16-Sep-2022 11:20 PM
Very nice 👍
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Pallavi
15-Sep-2022 09:08 PM
Beautiful part
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Priyanka Rani
15-Sep-2022 09:02 PM
Nice post 👍
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